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07:49, 1 जून 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शील
|अनुवादक=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आओ ! बाँट लें –
आपस में – सुख के लिए दुख,
आनेवाले उर्वर दिनों की आशाओं में
जुड़ने के लिए ।
रक्त पीती नैतिकता की –
रणनीति, अर्थनीति,
और रोगी मानसिकता से मुक्ति का –
एक सही अर्थ ...
ख़ामोशी तोड़ने का काम ।
आओ ! बाँट लें –
आपस में – सुख के लिए दुख,
आनेवाले उर्वर दिनों की आशाओं में
जुड़ने के लिए ।
वसन्त के पूर्व, पतझर की प्रक्रिया में –
झर रहा है, शीत आतंक ।
–
19 दिसम्बर 1988
</poem>