भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
और यह जानकर पल्लवित होने के
लिए आई थी
पर तुमने मुझे जो सिखाया, वह तुम्हारे बारे में था,
तुम मेरे शरीर के जवाब से, उसके मौसमों से,
इसकी सामान्य तुच्छ सी ऐंठन से ख़ुश हुए