भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैसे लिखूँ / अनीता सैनी

2,452 bytes added, 08:08, 6 जुलाई 2023
{{KKCatKavita}}
<poem>
प्रेम लिखूँ! हठ बौराया है
कैसे? शब्दों का टोकना लिखूँ
उपमा उत्प्रेक्षा का रूठना
कैसे स्मृतियों में ढूँढना लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
मनोभावों के झोंके को
ठहरे जल में उठती हिलोरों को
कैसे कुहासे-सी चेतना लिखूँ?
अकेलेपन के अबोले शब्द
अधीर चित्त की छटपटाहट
उफनती भावों की नदी को
कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?
इक्के-दुक्के तारों की चमक
गोद अवचेतन की चेतना
अकुलाहट मौन हृदय की
कैसे रात्रि का संवरना लिखूँ?
निरुत्तर हुई व्याकुलता
अन्तर्भावना वैराग्य-सी
प्रेमी प्रेम का प्रतिरूप
कैसे मौन स्पंदन में डूबना लिखूँ?
-0-
बहुत दिनों के बाद
कमला निखुर्पा
बहुत दिनों के बाद
खिलखिलाकर हँसे हम
सृष्टि हुई सतरंगी ...
दूर क्षितिज पर
चमका इंद्रधनुष...
कि हाथों में पिघलती गई आइसक्रीम ...
मीठी बूँदें जो गिरी आँचल पर
परवाह नहीं की...
चटपटी नमकीन संग
मीठे जूस की चुस्की भर
गाए भूले बिसरे गीत।
नीले अम्बर तले
बादलों के संग-संग
हरी-भरी वादियों में
डोले जीभर
झूले जीभर
बिताए कुछ यादगार पल ...
तो हुआ ये यकीं ...
ओ जिंदगी! सुनो जरा
सचमुच तुम तो हो बहुत हसीं ...
बस हमें ही जीना नहीं आया कभी...
-0-
</poem>