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Kavita Kosh से
पार करता सरपट
बिना सूरमा के
दौड़ रहा है घोड़ा
उसकी गरदन और पीठ पर
चमक रहा है सूरज
पक्षियों ने बन्द कर ली आँखें
उसकी बेतहाशा रफ़्तार देख
लोग मंत्रमुग्ध होकर ठिठक गए हैं
सब को लग रहा है कि घोड़ा