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Kavita Kosh से
सभी को लग रहा था कि घोड़ा
अभी गिरा ... अभी गिरा ...
पर घोड़ा सरपट भागा जा रहा था चौकड़ियाँ भरता
अपने परकाले से बेख़बर !
'''मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''