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मेघा बरसें प्रेम के, भीगा मन- आकाश।
एक बार तुम आ मिलो, बँध जाओ भुजपाश।
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तन से हँसते वे दिखे,जो मन से बीमार ।
मन मिलने पर टूटती, जो खींची दीवार ॥
 
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