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उऋण कभी होना नहीं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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23:37, 4 अक्टूबर 2023
आचमन कटुक वचन का, करते जो दिन -रात ।
घर-बाहर वे बाँटते, शूलों की सौगात ॥
244
जनम- जनम की साधना, प्राणों की मनुहार।
पुनर्जन्म यदि हो कभी, मिले तुम्हारा द्वार।
</poem>
वीरबाला
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