भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
ये न समझें कि आह करता हूँ <br><br>
बहर-ए-हस्ती * में हूँ मिसाल-ए-हुबाब* <br>
मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ <br><br>
ये बड़ा ऐब मुझ में है 'अकबर' <br>
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ<br><br> _______________________________ <br><br>बहर-ए-हस्ती - जीवन सागर <br>हुबाब - बु्लबुला <br>
9
edits