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और शलजम के खेत
यौवन की राहें
सौंदर्य सौन्दर्य का आरम्भ
और घाटियों की घास ।
उन नंगे पाँवों का चलना...
अब भी बची हैं सदियों पुरानी चरागाहें
और पगडंडियों पगडण्डियों पर चला यौवन ।
तैयार खड़ी रहती थी
दवाई के गुणों वाली पत्तियाँ-
पेट में दर्द हो या जलन
सब बीमारियों का वे होती थीं इलाज ।
भटकने नहीं देती वह
पराए दरवाज़ों और पराए आँगनों में ।
 
'''रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
</poem>
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