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कभी-कभी लगता है मुझको वे सैनिक
रक्तिम युद्ध-भूमि सेलौट से लौट न जो आए,
नहीं मरे वे वहाँ, बने मानो सारस
उड़े गगन में, श्वेत पंख सब फैलाए ।
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