कहो हिन्दुस्ताँ की जय
</poem>क़सम है ख़ून से सींचे हुए रंगी गुलिस्ताँ की ।क़सम है ख़ूने दहकाँ की, क़सम ख़ूने शहीदाँ की ।ये मुमकिन है कि दुनिया के समुन्दर ख़ुश्क हो जाएँये मुमकिन है कि दरिया बहते-बहते थक के सो जाएँ ।जलाना छोड़ दें दोज़ख़ के अंगारे ये मुमकिन है।रवानी तर्क कर दे बर्क़ के धारे ये मुमकिन है ।ज़मीने पाक अब नापाकियों की हो नहीं सकती वतन की शम्मे आज़ादी कभी गुल हो नहीं सकती ।
{{KKMeaning}}कहो हिन्दुस्ताँ की जयकहो हिन्दुस्ताँ की जय वो हिन्दी नऔजवाँ याने अलम्बरदारे आज़ादीवतन का पासबाँ वो तेग-ए- जौहरदारे आज़ादी ।वो पाकीज़ा शरारा बिजलियों ने जिसको धोया हैवो अंगारा के जिसमें ज़ीस्त ने ख़ुद को समोया है ।वो शम्म-ए-ज़िन्दगानी आँधियों ने जिसको पाला हैएक ऐसी नाव तूफ़ानों ने ख़ुद जिसको सम्भाला है ।वो ठोकर जिससे गीती लरज़ा बरअन्दाम रहती है । कहो हिन्दुस्ताँ की जयकहो हिन्दुस्ताँ की जय वो धारा जिसके सीने पर अमल की नाव बहती है ।छुपी ख़ामोश आहें शोरे महशर बनके निकली हैं ।दबी चिनगारियाँ ख़ुरशीदे ख़ावर बनके निकली हैं ।बदल दी नौजवाने हिन्द ने तक़दीर ज़िन्दाँ कीमुजाहिद की नज़र से कट गई ज़ंजीर ज़िन्दाँ की । कहो हिन्दुस्ताँ की जयकहो हिन्दुस्ताँ की जय''' '''शब्दार्थ'''तर्क : बन्दबर्क़ : बिजलीतेग : तलवारजौहरदार : पराक्रमीज़ीस्त : जीवनगीती : संसारलरज़ा बरअन्दाम : काँपकर सुन्न हो जानाशोरे महशर : कयामत के दिन का शोरख़ुरशीदे ख़ावर : चमकीला सूरज<ref>दुनिया</refpoem>