Changes

{{KKCatGhazal}}
<poem>
चिड़िया की जाँ लेने में इक एक दाना लगता है।
पालन कर के देखो एक ज़माना लगता है।
जय -जय के पागल नारों ने कर्म किए ऐसे,
हर जयकारा अब ईश्वर पर ताना लगता है।
टूटेंगें विश्वास कली से मत पूछो कैसा,
यौवन देवों को देकर मुरझाना लगता है।
जाँच, समितियों से करवाकर क्या मिल जाएगा,
उसके घर में साँझ सबेरे थाना लगता है।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits