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Kavita Kosh से
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नीट आँखों से जब पिलाया कर।
लब का चखना भी कुछ तो खिलाया कर।
जान ले लेंगे दो नशे मिल के,
यूँ न पतली कमर हिलाया कर।
अब न बेकार तिलमिलाया कर।
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