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नीट आँखों से जब पिलाया कर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
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26 फ़रवरी
<poem>
नीट आँखों से जब पिलाया कर।
लब का चखना भी
कुछ
तो
खिलाया कर।
जान ले लेंगे दो नशे मिल के,
यूँ न पतली कमर हिलाया कर।
इश्क
प्यार
की लत लगाई
है
तूने
ही
,
अब न बेकार तिलमिलाया कर।
</poem>
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