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<poem>
अनछुए फूल चुनकर भाव चुन के रची हैं प्रिये।
प्रीत की अल्पनाएँ सजी हैं प्रिये।
आज के भाव बेहद निजी हैं प्रिये।
ऐसे घबराओ मत रोग है ये नहीं,
प्यार में रतजगे कुदरती क़ुदरती हैं प्रिये।
प्यास, सिहरनकंपन, जलन, दौड़ती धड़कनें,
ये सभी प्रेम की पावती हैं प्रिये।