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Kavita Kosh से
प्यार करने का पहले हुनर सीख लो,
फिर इबादत करो आशिकी आशिक़ी की तरह।
था वो कर्पूर रोया नहीं मोम सा,
फिर छुपाए मुझे डॉयरी की तरह।
एक दो झूठ जो उनके हक हक़ में कहे,
उसको मानेंगे वो ज्योतिषी की तरह।
वन से आई ख़बर सुन नगर काँपता,
जानवर हो गए आदमी की तरह।
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