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तथाता / वैशाली थापा

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<poem>
अनायास नहीं बोलोगी तुम
अभिव्यिक्ति से पहले गहरे मौन के अर्थ को टटोलोगी

एक विचार पर बहुत कुछ कह सकती हो
पहले नापोगी
नहीं कहने और कहने के बीच की दूरी को

असहमती से बहुत जल्दी सहमत नहीं हो जाओगी
ढल जाओगी। कठिन समय की तरह अटक सकती थी
टल जाओगी।

नहीं कहोगी ‘यहाँ कितना अँधेरा है।’
नहीं जताओगी ‘यह किस तरह के लोग है?’

शुरूआत में आँख ज़ाहिर करेंगी
अन्त में नदी में तैरना छोड़ कर बहने लगोगी
तुम नदी ही हो जाओगी
और बया करने को कुछ शेष नहीं रहेगा।
</poem>
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