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जंगल का नायक / वैभव भारतीय

120 bytes added, 06:54, 29 मार्च 2024
किसे पड़ी है मन पढ़ने की
कौन वहाँ करता है शिरकत
जहाँ जहां ज़रूरत है भिड़ने की। की ?
सबने क़िस्सा वही सुनाया
जो शिकारियों ने लिक्खे हैं
ये शिकार की छद्म कहानी
होती रेत है लगता पानी।
जब तक सिंह नहीं सीखेगा
जब तक सिंह नहीं लिक्खेगा
असल कहानी दावानल की
जंगल के हर इक क़िस्से में
नायक एक शिकारी होगा।
</poem>
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