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मैं जानता था / लीलाधर मंडलोई

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<Poem>
मैं जानता था
कितनी लफ़्फ़ाजी कर सकता हूँ मैं

मैंने नहीं चुना वह रास्ता

मीडिया प्रमुख होने के बाद
मैं नहीं था मिडिया में और
उन्होंने तस्लीम कर दिया इसे मेरी कमज़ोरी

वे नहीं जानते थे कि
एक लेखक के लिए कितनी बड़ी हो सकती है
लफ़्फ़ाजी की सज़ा

</poem>