भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजयाराजमल्लिका |अनुवादक=सन्तोष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विजयाराजमल्लिका
|अनुवादक=सन्तोष कुमार
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
नीचे एक छत के
दो लोग
साथ लगे बिस्तरों पर
जी रहे श्रापित जीवन

दोनों ही क़ैदी हैं
दो मानव-बम
फूट पड़ने वाले कभी-भी

वो दाईयाँ
जिन्होंने सुला दिए
अपने हसीन सपने

वो शानदार पल
जि्न्होंने एक किया था उन्हें
बिना समझौते के

क़ैदी हैं वे
उस घर के
वे जी रहे असन्तोष में —
एक वुमन हैं और दूसरी
ट्रांस-वुमन !

दुनिया के लिए
वे हैं… एक महिला और एक पुरुष
ओह ये नाउम्मीद दुनिया
तारीफ़ें करती नहीं थकती
कि वे हैं
आदर्श पति-पत्नी !

'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,667
edits