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|रचनाकार=विजयाराजमल्लिका
|अनुवादक=सन्तोष कुमार
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<poem>
नीचे एक छत के
दो लोग
साथ लगे बिस्तरों पर
जी रहे श्रापित जीवन

दोनों ही क़ैदी हैं
दो मानव-बम
फूट पड़ने वाले कभी-भी

वो दाईयाँ
जिन्होंने सुला दिए
अपने हसीन सपने

वो शानदार पल
जि्न्होंने एक किया था उन्हें
बिना समझौते के

क़ैदी हैं वे
उस घर के
वे जी रहे असन्तोष में —
एक वुमन हैं और दूसरी
ट्रांस-वुमन !

दुनिया के लिए
वे हैं… एक महिला और एक पुरुष
ओह ये नाउम्मीद दुनिया
तारीफ़ें करती नहीं थकती
कि वे हैं
आदर्श पति-पत्नी !

'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार'''
</poem>
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