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{{KKRachna
|रचनाकार=राहुल शिवाय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
अंजुरियों में अक्षत लेकर
हम प्रेमिल संसार लिखें
कर्तव्यों के शिलापृष्ठ पर
पानी से अधिकार लिखें
उत्तर-दक्षिण की
संस्कृति में
एक नया संवाद जगाएँ
कावेरी
गंगा तक लाकर
नया इलाहाबाद बसाएँ
पथ की बाधाओं पर
आओ संगम का आभार लिखें
लिखें लोहड़ी
से पोंगल तक
त्योहारों की आवाजाही
खजुराहो को
चलो दिखाएँ
कैसी है यमुना की स्याही
वृंदावन के बिरवे से हम
महावृक्ष का सार लिखें
जगन्नाथ के
रथ को लेकर
मीरा के भजनों तक जाएँ
तुलसी की
व्याकुलता को फिर
रत्ना के मन तक पहुँचाएँ
सारी सीमाओं को त्यागें
मन को एकाकार लिखें
</poem>
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अंजुरियों में अक्षत लेकर
हम प्रेमिल संसार लिखें
कर्तव्यों के शिलापृष्ठ पर
पानी से अधिकार लिखें
उत्तर-दक्षिण की
संस्कृति में
एक नया संवाद जगाएँ
कावेरी
गंगा तक लाकर
नया इलाहाबाद बसाएँ
पथ की बाधाओं पर
आओ संगम का आभार लिखें
लिखें लोहड़ी
से पोंगल तक
त्योहारों की आवाजाही
खजुराहो को
चलो दिखाएँ
कैसी है यमुना की स्याही
वृंदावन के बिरवे से हम
महावृक्ष का सार लिखें
जगन्नाथ के
रथ को लेकर
मीरा के भजनों तक जाएँ
तुलसी की
व्याकुलता को फिर
रत्ना के मन तक पहुँचाएँ
सारी सीमाओं को त्यागें
मन को एकाकार लिखें
</poem>