भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादलो / शमशेर बहादुर सिंह

158 bytes added, 22:23, 21 नवम्बर 2008
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह |संग्रह=}} <Poem>ये हमारी तुम्‍हारी कहां कहाँ की मुलाकात मुलाक़ात है,बादलो!
कि तुम
दिल के करीब क़रीब लाके,बिल्‍कुल ही
दिल से मिला के ही जैसे
अपने फाहाफ़ाहा-से गाल
सेंकते जाते हो...।
आज कोई जख्‍म ज़ख़्म‍ इतना नाजुक नाज़ुक नहींजितना यह वक्‍त वक़्त हैजिसमें हम -तुम
सब रिस रहे हैं
चुप-चुप।
नश्‍तर-सी
वह चमक
 
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,708
edits