भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
इन्तज़ार कर, मैं लौटूँगा ।
इन्तज़ार कर तू मेरा,
इंतज़ार इन्तज़ार कर तू, जब उदास हो
हो तेज़ बारिश का फेरा,
इंतज़ार इन्तज़ार कर, जब बर्फ़ गिरे
और गर्मी पड़े भारी,
जब भूल चुके हों सबको, सब कोई
जाम पिएँ वो मेरी याद में
बैठ अलाव किनारे
पर तू इंतज़ार इन्तज़ार कर मेरा, जानम !
यादों के सहारे
बस, ये समझ न पाएँगे
तेरे कारण ही लौटा मैं
तूने मुझे बचाया है
बस, तू और मैं यह जानेंगे
तूने मुझे जिलाया है
बस, तेरे कारण ही ज़िन्दा मैं
बस, तूने दिया मौत को फेरा
बस, तूने सोचा था लौटेगा
बस, इन्तज़ार किया तूने ही मेरा !
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,594
edits