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14:20, 31 अगस्त 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालप्रसाद रिमाल
|अनुवादक=सुमन पोखरेल
|संग्रह=
}}
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<poem>
एक युग में एक दिन एक बार आएगा,
उलट-पुलट, उथल-पुथल, हेरफेर लाएगा
भोलेभाले बोलने लगेंगे, चलेंगे होंठ दुःखों के
जिन्हें सह रहे हैं समझा है, वे बदला लेने उठेंगे
जिन्हें गए हुए समझा है, वे लौट-लौटकर आएँगे
जिन्हें सोए हुए समझा है, वे अचानक चल पड़ेंगे
जिन्हें मरे हुए समझा है, वे उठकर चलने लगेंगे
खाक भरभराने लगेगा, और तूफान उठने लगेगा
कायर भी वीर बनेंगे, और वेग चलेगा जोश का
हाहाकार मच जाएगा, यहाँ पाप खुलने लगेगा
एक युग में एक दिन एक बार आएगा!
०००
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''यहाँ तल क्लिक गरेर यस कविताको मूल नेपाली पढ्न सकिनेछ-''
'''[[एक दिन एक चोटी / गोपालप्रसाद रिमाल]]'''
</poem>