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|रचनाकार=मुकुन्द प्रयास
|अनुवादक=सुमन पोखरेल
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<poem>
सिर्फ आधा ही निर्मित ईश्वर के घर से,
आधी रात को ईश्वर के खो जाने की बात को
भूल गए होंगे ईश्वर के भक्तगण,
बाँस की बिट्टी भी भूल गई होगी,
और भूल गए होंगे ईश्वर की सृष्टि करने वाले भी ।

न भूल कर
आज तक ईश्वर को ढूँढते रहने वाले
जुगनू बन गए हैं, जुगनू।
०००

</poem>
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