भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
पर पुगिसकेको कालो मोटरसित
मृत्यु, आज .....जिन्दगीको छेवैनिर भएर गयो !
०००
..................................
[[हाट में इकट्ठे लोग / बैरागी काइँला / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
</poem>