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तिम्रो सन्तानले यो सृष्टि चल्यो यहाँसम्म
मेरोले के अन्त्य गर्ला त यसलाई यहीँ ।
०००
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[[मानस-संतान / कुन्दन शर्मा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
</poem>
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