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- मनुस्मृति
ए मातापिता !
- मनुस्मृति
ए मेरो स्वार्थी शासक !
- मनुस्मृति
मलाई त
मेरो युगले नै ठगेको थियो ।
०००
..........................
[[एक बेटी की कहानी / कुन्दन शर्मा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
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