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काँच की चूड़ी को तोड़ने के समान ही इच्छा होती है अवहेलना करने की
कि धर्मतला में भरी दुपहरी बीच रास्ते पर करूँ सुसु ।
इच्छा होती है दोपहर की धूप में ब्लैकआउट का हुक्म देने की
इच्छा होती है कि करूँ झाँसा देकर व्याख्या जनसेवा की
इच्छा होती है कि मलूँ कालिख धोखेबाज नेताओं के चेहरों पर
इच्छा होती है कि दफ़्तर जाने के नाम पर जाऊँ बेलूर मठ
इच्छा होती है कि करूँ नीलाम धर्माधर्म मुर्गीहाटा में
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