631 bytes added,
18:18, 10 दिसम्बर 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ज्ञान बढ़ा अज्ञान मिटाती,
वीणा धारण करने वाली
श्वेत कमल के आसन बैठी,
तू जड़ता को हरने वाली
श्वेत अंबर को धरने वाली,
विद्या, वाणी की जननी तू
लय सुर ताल रचाकर माता,
जग गीतों से भरने वाली
</poem>