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ऐसे तुम मन में।
-0-'''(27-02-2023)'''
164
मन पुकारे-
कोई आके छीन ले
मेरा अकेलापन,
आखिरी साँसें
बस इतना ही चाहें -
लौटा दो मेरा गाँव!
165
खुला अम्बर
बारिश में नहाया
वह धुला अम्बर,
महल न दो
बस उसे लौटा दो
नदिया से मिला दो।
'''18/4/2024'''
</poem>