Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
साथी मेरे हर पल जी रे
कड़वा मीठा सब रस पी रे

दुनिया की इस मधुशाला में
मान वक़्त को इक साकी रे

जीवन तो बस एक समर है
ले धारण कर तू ख़ाकी रे

आदर सबसे पाना है तो
जीभ पड़े काबू करनी रे

तेरी मेरी ख़ूब जमेगी
तू है मेरा हमराही रे

पूरा होगा हर सपना जब
हों ग़म औ ख़ुशियाँ साझी रे

विचरण करते नील गगन में
हम सब तो हैं बस पाखी रे
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,194
edits