भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
साथी मेरे हर पल जी रे
कड़वा मीठा सब रस पी रे

दुनिया की इस मधुशाला में
मान वक़्त को इक साकी रे

जीवन तो बस एक समर है
ले धारण कर तू ख़ाकी रे

आदर सबसे पाना है तो
जीभ पड़े काबू करनी रे

तेरी मेरी ख़ूब जमेगी
तू है मेरा हमराही रे

पूरा होगा हर सपना जब
हों ग़म औ ख़ुशियाँ साझी रे

विचरण करते नील गगन में
हम सब तो हैं बस पाखी रे
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,472
edits