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|रचनाकार=ज़ोजे सरामागो अनिल जनविजय
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
खनखनाने लगते हैं
जैसे बज रहे हों पहली बार ।
1966 में प्रकाशित ’सम्भावित कविताएँ’ नामक संग्रह से
'''मूल पुर्तगाली भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Basta que, de sol. os olhos do poeta,
Rasando, as iluminem.
Os poemas possíveis, 1966
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