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|रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
|अनुवादक=
|संग्रह=दहकेगा फिर पलाश / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
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<poem>
आये अगर मेहमान दीवाली के दिन।
समझो उसे भगवान दीवाली के दिन।

वापस बताते सौ गुना होकर मिले,
जितना करें हम दान दीवाली के दिन।

चौपाल के, घर के, नगर के खोलिये,
हर बन्द रोशनदान दीवाली के दिन।

कहते कहावत हैं, बजाओं शंख यदि,
सुनकर भगे शैतान दीवाली के दिन।

हर सम्पदा भरपूर मिलती भक्त को,
माँगे बिना वरदान दीवाली के दिन।

छूना पटाख़े, ताश हैं हर्गिज नहीं,
सब मिल करो ऐलान दीवाली के दिन।

‘विश्वास’ का दीपक जलाकर, डालिये,
बेजान में भी जान दीवाली के दिन।
</poem>
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