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बांसुरी / नरेश सक्सेना

No change in size, सोमवार को 05:12 बजे
जब-जब बजाता हूं बांसुरी
तो राग चाहे जो हो
उसमें थोड़ों कीड़ों की भूख
और बांसों का रोना भी सुनायी देता है.
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