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<poem>
श्रद्धा करके चलो भाइयो
फल्गु जी पै जाणा
नहाकै फल्गु तीर्थ मै
तरपण करकै आणा।

चार धाम अड़सठ तीरथ मै
फल्गु का नाम लिया जा सै
देस म्हारे मैं हरयाणा
जहाँ सच्चा ज्ञान दिया जा सै
जितने तीरथ मंदर सब मै
पुन और दान किया जा सै
पवितर भूमि फल्गु की
आड़ै सुख तै रोज़ ज़िया जा सै
दृषदवती और सरस्वती का
पक्का उरै मुहाणा
श्रद्धा करकै चाल्लो

सूर्य मधु शीत अर काम्यक
सारे सैं इस धरती पै
अदिति व्यास अर फल्की
न्यारे सै इस धरती पै
करी तपस्या ऋषि मुनि नै
गुण गारे सैं इस धरती पै
गयासुर को हरा कै लागे
जयकारे सैं इस धरती पै
महाभारत का कहणा सै
यूं तीरथ बहुत पुराणा
श्रद्धा करकै चाल्लो

सारे ऋषि मुनिया का धूणा
उरै लाग्या करदा फल्गु पै
अग्निष्टोम जैसे यज्ञों से
भाग जाग्या कर फल्गु पै
जो भी पुन और दान करया
ओ लाग्या करदा फल्गु पै
दुखिया माणस आ आ कै
फल मांग्या करदा फल्गु पै
चाल्लो चालां तीरथ पै
जित होया हर का आणा
श्रद्धा करकै चाल्लो

वामन और पुराण सारे
सब मैं ज़िक्र करया था
नारद पुराण पढ़ कै देखो
महात्म्य रूप धरया था
सोमवती अमावस नै
युधिष्ठिर उरै जरया था
विकास कुमार पांडवों का
श्राद्ध भी उरै तरया था
दिनेश शर्मा मुक्ति का
यूं तीरथराज ठिकाणा
श्रद्धा करकै चाल्लो
</poem>
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