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कोई नहीं कर सकता ख़िदमत जितनी खाला करती है
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ज़िक्र क्यों कर हो गरीबी का भला हर बात पर
शुक्र कर, तू जो भी है, जैसे भी हैं हालात पर
एक दिन तक़दीर सँवरेगी तेरी भी ऐ 'रक़ीब'
नेकनीयत और भरोसा रख ख़ुदा की जात पर
मुफलिसी का तजकरा करता है क्यों हर बात पर
शुक्र कर, तू जो भी है, जैसे भी हैं हालात पर