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ज़रा सा हौसला होता तो तूफां से गुज़र जाते
यक़ीनन आज कश्ती से सरे साहिल उतर जाते
बढ़ाता हौसला कोई तो तूफां से गुज़र जाते
यक़ीनन आप कश्ती से सरे साहिल उतर जाते
ख़ुशी हर इक इधर आ जाती सारे ग़म उधर जाते
मुहब्बत के फ़साने में बहुत से रंग भर जाते
हबीबे बावफ़ा ने ज़िन्दगी बख्शी मुहब्बत को
'रक़ीब'-ए-बेनवा वरना तेरे जज़बात मर जाते
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