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ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हुई ये चिड़ियाँ कब तक
और बन के फूल बनेंगी गुलशन में, खिलेंगी ये अरमानो की कलियाँ कब तक
तुम दिल पर अपने हाथ रखो, फिर बोलो क्या आसान है ये
कहते हैं अदीब और शाइर ये गुज़रेगा इधर से कोई 'रक़ीब'
अब देखना है ये देखेंगे, सूनी हैं तेरी गलियाँ कब तक
 
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