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<poem>
जीवन जीना आसान नहीं ।
यूँ ही बनती पहचान नहीं ।

हो तेज श्वसन, उर में क्रंदन,
पर झलके तनिक थकान नहीं।

कान्हा के भक्त करोड़ों हैं,
पर हर कोई रसखान नहीं।

जो जी चाहे ख़ुद को समझें,
पर औरों को नादान नहीं ।

दे नर तन भेजा है उसने,
तो यूँ ही हो अवसान नहीं ।
</poem>
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