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{{KKRachna
|रचनाकार=मौहम्मद मूसा
|अनुवादक=भास्कर चौधरी
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<poem>
सबसे बुरी बात जो आपका दुश्मन कर सकता है,
वह है आपके घर,
आपके शहर को पूरी तरह मृतप्राय कर देना —

आपको अपनी पहचान, भाषा,
अतीत, भविष्य और
वर्तमान से पूरी तरह से ख़ाली कर देना।

यह किसी का अपने घर,
जहाँ कोई नहीं है,
वापस आने जैसा है,

कहीं नहीं मरना,
देखना सपना
कुछ भी नहीं का,

फरवरी की आख़िरी बर्फ़, आखिरी पल,
विदेशी सर्दियों की आख़िरी कविता,
आख़िरी अलविदा और
मौत से भागना पहली बार ।

यह धीरे-धीरे गायब होने,
अकेले मरने,
अजनबी का दिल,
एक जाना-पहचाना चेहरा और
एक पुराने दोस्त की आवाज़ लेकर चलने जैसा है ।

</poem>
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