Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक अंजुम |अनुवादक= |संग्रह=अशोक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक अंजुम
|अनुवादक=
|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
खेल के परिणाम सारे फिक्स हैं!
फिक्स हैं ईनाम सारे फिक्स हैं!

आपकी बारी भी आएगी हुज़ूर
मैकदे में जाम सारे फिक्स हैं!

किस तरह का चाहिए वर आपको
बोलिये भी दाम सारे फिक्स हैं!

और बढ़कर एक भी तिनका नहीं
दफ्तरों में काम सारे फिक्स हैं!

तू भले ही प्रैक्टिस दिन-रात कर
नौकरी को नाम सारे फिक्स हैं!

फेंककर मजनूं का ख़त लैला कहे
क्या पढ़ँू पैगाम सारे फिक्स हैं!

आप मत इतनी सफ़ाई दीजिये
आप पर इल्ज़ाम सारे फिक्स हैं!
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,194
edits