1,161 bytes added,
9 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक अंजुम
|अनुवादक=
|संग्रह=अशोक अंजुम की हास्य व्यंग्य ग़ज़लें / अशोक अंजुम
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क्या-क्या न सहे हमने सितम आधी रात तक
बेगम को नहीं आया रहम आधी रात तक
साड़ी न थी पसन्द तो लेते उसे बदल
रोते ही रहे हाए सनम आधी रात तक
रोटी के इन्तजार में कुल कुनबा सो गया
लेकिन हुआ तवा न गरम आधी रात तक
कुछ तो बताइए कि तुम्हें क्या दूँ गिफ्ट मैं
उनकी हुई न दूर शरम आधी रात तक
पन्द्रह अगस्त दिन था सभी को था इन्तजार
बच्चा नहीं ले पाया जनम आधी रात तक
</poem>