Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ये एक ख़ून से भरी अन्धेरी सुरंग है
जिसमें हम फिसलते चले जा रहे हैं

दरख़्त ख़ून में डूबे हैं
हवा में ख़ून की बू है
आसमान ख़ून माँग रहा है
चाँद को भी ख़ून चाहिए

ये एक गहरी साज़िश है :
धरती ग़ायब हो रही है
उसकी जगह ख़ून के टीले
ख़ून के पहाड़
ख़ून की झीलें
और ख़ून के रेगिस्तान ज़ेरे-ता’मीर हैं

दिन का दस्तार ख़ून में लिथड़ा है
रात की कम्बल ख़ून से भारी है
इस हंगाम में ख़ून की फ़रावानी ज़रूरी है
फ़क़त दिमाग में ख़ून की तेज़ हलचल है
अफ़सोस ! दिल अब ख़ून से ख़ाली हैं ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,435
edits