|रचनाकार=महादेवी वर्मा
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स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं।
छोड कोमल फूल का घर,
ढूंढती हूं निर्झर।
पूछती हूं नभ धरा से-
क्या नहीं ऋतुराज आया?
स्वप्न से किसने जगाया?<br>मैं सुरभि हूं। <br>छोड कोमल फूल का घरऋतुओं में न्यारा वसंत,<br>ढूंढती हूं निर्झर।<br>पूछती हूं नभ धरा सेमैं अग-<br>क्या नहीं ऋतुराज आया?<br><br>जग का प्यारा वसंत।
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंतमेरी पगध्वनी सुन जग जागा,<br>मैं अगकण-जग का प्यारा वसंत।<br><br>कण ने छवि मधुरस मांगा।
मेरी पगध्वनी सुन जग जागानव जीवन का संगीत बहा,<br>कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।<br><br>पुलकों से भर आया दिगंत।
नव जीवन का संगीत बहा,<br>पुलकों से भर आया दिगंत।<br><br> मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,<br>मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।<br><br/poem>