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यूँ यों न देखो
हवा में उड़ रहे
उस पत्थर को
या फिर
धरती पर रेंगने वाला तुच्छ प्राणी
यूं यों देखते ही न रहो-
बरसो
बादल की तरह,
बहो
नदी की तरह,
गिरो
जल प्रपात की तरहतरह।
उगो
चट्टान पर बीज की तरह,
खिलो
फूल की तरह,
चीखो
मुर्दो में जिन्दा आदमी की तरह,ठहरना अगर पड़े तो, तो ठहरो-
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
बरसो, बहो, गिरो, खिलो, चीखो, ठहरो-
लौह-खण्ड-सा पत्थर
भुरभुराकर फिर आ मिलेगा
मिट्टी जीवन की धारा से।
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