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30 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=यादों के रजनीगंधा / संतोष श्रीवास्तव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जब गीत बिखर जाएँगे
तू जीवित प्रेम देना गीतों को
जब पात झर जाएँगे
सूख कर डाल से विलग हो
दुबक जाएँगे सहम कर
सूखे पत्ते हवा के दामन में
तू आहिस्ता दुलार लेना पत्तों को
मृत्यु से लड़ना
इस्पात है तू जिंदगी
</poem>