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<poem>
उसे नहीं पता
साथ रहेगा कि छूटेगा

भेंट कब होगी, पूछो तो
वही नपा-तुला जवाब
मुझे नहीं पता

बता, प्रेम है कि नहीं
सब कुछ जानते-बूझते
एक दिन हँसी-हँसी में मैंने पूछा

मुझे नहीं पता
हमेशा की तरह उसने कहा
इस बार स्वर में उदासी थी
उदासी इस बात की
कि यह भी कोई पूछने की बात है

दरअसल
उसने कभी प्रेम का नाम नहीं लिया
सिर्फ प्रेम किया
</poem>
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