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30 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुंदन सिद्धार्थ
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
सुख आये और चले गये
दुख आया फिर नहीं गया
ख़ुशियाँ आयीं, चली गयीं
दुख आया फिर नहीं गया
सुखी दिन और ख़ुश रातों ने नहीं
अचानक आये
और फिर कभी नहीं गये दुख ने
मुझे कवि बनाया
कवि नहीं होता तो
दुख के दरिया में डूब कर मर जाता
या तो सुख के इंतज़ार में
या फिर ख़ुशियों की बाट जोहते
</poem>