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<poem>
प्रेमी हो, कविता न लिखे, चलेगा
कवि हो और प्रेम न करे, नहीं चलेगा

बेईमान साधु हो जाये, दौड़ेगा
साधु हो और बेईमान हो, नहीं चलेगा

मूरख पढ़-लिखकर शिक्षा बाँटे, स्वागत है
शिक्षक हो और जड़बुद्धि हो, नहीं चलेगा

अंगुलिमाल बुद्ध-चरणों में शरण ले, क्या बात है!
भगवद्भक्त हो और हो हत्यारा, नहीं चलेगा

हम तुम दोनों न मिल पाएँ, जाने दो
कभी हम तुमसे जुदा हो जाएँ, नहीं चलेगा
</poem>
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