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|रचनाकार=महमूद दरवेश
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
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<poem>
मुझे पसन्द है यात्रा करना…
एक गाँव की जो कभी नहीं टांगता मेरी अन्तिम साँझ को
अपने साइप्रस के वृक्षों पर । मुझे पसन्द हैं वृक्ष जो साक्षी हैं
कि कैसे दो पक्षियों ने कष्ट सहे हमारे हाथों,
कैसे हमने उठाए पत्थर ।

क्या यह बेहतर न होता यदि हम उठाते अपने दिनों को
धीरे-धीरे विकसित होने को और इस हरीतिमा का आलिंगन करने को ?
मुझे पसन्द है बारिश
दूर चरागाहों में स्त्रियों पर ।
मैं पसन्द करता हूँ झिलमिलाते जल को और पत्थर की महक को ।

क्या यह बेहतर न होता
यदि हम धता बताते अपनी उम्र को
और लम्बे समय तक ताकते रहते आसमान
चन्द्रमा के अस्त होने के पूर्व ?

इस जगह के बाहर, आत्मा के लिए पते ।
मुझे पसन्द है यात्रा करना
किसी भी हवा तक… किन्तु मुझे नहीं पसन्द पहुँच जाना ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
</poem>
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